अवतारी पुरुष एवं जन-जन
की आस्था के प्रतीक बाबा रामदेव जी ने अपना समाधी स्थल, अपनी कर्मस्थली रामदेवरा
(रूणीचा) को ही चुना । बाबा ने यहाँ पर भादवा सुदी 11 वि.सं. संवत् 1442 को रामदेव
जी ने अपने हाथ से श्रीफल लेकर सब बड़े बुढ़ों को प्रणाम किया तथा सबने पत्र पुष्प्
चढ़ाकर रामदेव जी का हार्दिक तन, मन व श्रद्धा से अन्तिम पूजन किया । समाधी लेते
समय बाबा ने अपने भक्तों को शान्ति एवं अमन से रहने की सलाह देते हुए जीवन के उच्च
आदर्शों से अवगत कराया । रामदेव जी ने समाधी में खड़े होकर सब के प्रति अपने
अन्तिम उपदेश देते हुए कहा प्रति माह की शुक्ल पक्ष की दूज को पूजा पाठ, भजन
कीर्तन करके पर्वोत्सव मनाना, रात्रि जागरण करना । प्रतिवर्ष मेरे जन्मोत्सव के
उपलक्ष में तथा अन्तर्ध्यान समाधि होने की स्मृति में मेरे समाधि स्तर पर मेला
लगेगा । मेरे समाधी पूजन में भ्रान्ति व भेद भाव मत रखना । मैं सदैव अपने भक्तों
के साथ रहुँगा । इस प्रकार श्री रामदेव जी महाराज ने जीवित समाधी ली ।
लोक देवता बाबा रामदेव जी का समाधी लेने से
पूर्व जन जन को दिया गया संदेश
बाबा ने जिस स्थान पर समाधी ली, उस स्थान पर बीकानेर के राजा गंगासिंह ने भव्य
मंदिर का निर्माण करवाया इस मंदिर में बाबा की समाधी के अलावा उनके परिवार वालो की
समाधियाँ भी स्थित है । मंदिर परिसर में बाबा की मुंहबोली बहिन डाली बाई की समाधी,
डालीबाई का कंगन एवं राम झरोखा भी स्थित हैं ।
लोक देवता बाबा रामदेव जी का समाधी लेने से
पूर्व जन जन को दिया गया संदेश
महे तो
चाल्या म्हारे गाँव, थां सगळा ने राम राम
जग में चमके थारों नाम, करज्यों चोखा चोखा काम
ऊँचो ना निंचो कोई, सरखो सगळा में लोही
कुण बामण ने कुण चमार, सगळा में वो ही करतार
के हिन्दू के मुसळमान, एक बराबर सब इंशान
ईश्वर अल्लाह तेरो नाम, भजता रहिज्यों सुबह शाम
म्हे तो चाल्या म्हारे गाँव, थां सगळा ने राम राम
थां सगळा ने राम राम....!
लखदातार की जय..... रामसापीर की जय......लिले असवार की जय.......रुणिचे रा श्याम की जय....!
जग में चमके थारों नाम, करज्यों चोखा चोखा काम
ऊँचो ना निंचो कोई, सरखो सगळा में लोही
कुण बामण ने कुण चमार, सगळा में वो ही करतार
के हिन्दू के मुसळमान, एक बराबर सब इंशान
ईश्वर अल्लाह तेरो नाम, भजता रहिज्यों सुबह शाम
म्हे तो चाल्या म्हारे गाँव, थां सगळा ने राम राम
थां सगळा ने राम राम....!
लखदातार की जय..... रामसापीर की जय......लिले असवार की जय.......रुणिचे रा श्याम की जय....!
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