।। श्री
गणेश वंदना ।।
गजाननं भुतगनादिसेवितं कपित्थजम्बू
फल चारू भक्षणं।
उमासुतं शोकविनाशकारकं नमामि
विध्नेश्वरपादपंकजम।।
वर्णानामर्थसंघानाम
रसानां छंदसामपि।
मंगलानाम च कर्तारौ वन्दे
वाणीविनायकौ।।
।। श्री रामदेवोविजयतेतराम
।।
वन्देहंरुणिचारावंकृष्णचन्द्रस्वरुपिणाम
।
।। श्री रामदेव वार्चन ।।
श्री रामदेव
कृपालु भजमन, हरण भव भय दारुणम ।
अवतार धार
उतार भार, आनंद धरणी कारणम ।।
कर्ण कुंडल
हस्त भाल, गंध ललाट सुशोभितम ।
पीत पट गल-पुष्प
माल, नील अश्वोरोहितम ।।
भव कष्ट तारण
दलन-दानव, भक्त आनंद कारणम ।
संताप निवारण
भैरव मारण, संत जनन उध्दारणम ।।
भक्त पाल
नयना विशाल, उदार अंग विभूषणम ।
मैणादे नन्द
आनंद कंद, क्लेश कष्ट विध्युषणम ।।
"विशव-
महर्षि" वंदन नाथ, संत जनमन रंजनम ।
मम-हृदय नित्य
निवास कुरु, देव अजमल नंदनम ।।
।।आरती श्री बाबा रामदेव जी की।।
पिछम धरां सूं
म्हारा बापजी पधारिया,
घर अजमल अवतार लियो ।
लाछा सुगना करे हर री आरती,
हरजी भाटी चंवर
ढुले ।
दूर देशां रा बाबा
आवे थारे यातरू,
बापजी रे मंदिरिये
में नमन करे ।
घीरत मिठाई हर रे चढ़े चूरमा,
धूपा री धम रोल पड़े ।
ढोल नगाड़ा नौपत बाजे,
वीणा री झंकार पड़े ।
गंगा जमुना बहे सरस्वती,
उठे बाबा रामदेव स्नान करे ।
म्रदंग ताल हर रे ढोलक बाजे,
झिन्झां री झंकार पड़े ।
हरी शरणे भाटी हरजी बोले,
नव खण्डों में निशान धुरे ।
।। आरती श्री बाबा रामदेव
जी की ।।
जय अजमल लाला, प्रभु जय अजमल लाला,
भक्त काज कलियुग में,लीनो अवतारा,
जय अजमल लाला
।
अस्वन की असवारी शोभित, केशरिया जामा,
शीश तुर्रा हद शोभित, हाथ लिया भाला,
जय अजमल लाला
।
डूबत जहाज तिराई, भैरूं दैत्य मारा,
कृष्ण कला भय भंजन, राम रुनिचे वाला,
जय अजमल लाला
।
अन्धन को प्रभु आँख देत है, सुख सम्पति माया,
कानन कुंडल झिलमिल, गल पुष्पन माला,
जय अजमल लाला
।
कोढ़ी जब करूणा कर आवत, होय दुखित काया,
शरणागत प्रभु तेरी, भक्तन मन भाया,
जय अजमल लाला
।
आरती श्री रामदेव जी की, जो कोई नर गावे,
कटे फन्द जन्मों के, मोक्ष पद पावे,
जय अजमल लाला
।
बाबा रामदेव चालीसा
।। दोहा ।।
जय जय प्रभु रामदेव, नमो नमो हरबार । लाज राखो तुम नन्द की, हरो पाप का भार ।।
दीन बन्धु किरपा करोए, मोर हरो संताप । स्वामी तीनों लोक केए हरो क्लेश, अरू पाप ।
जय जय रामदेव जयकारी ।
तुम हो सुख सम्पत्ति के दाता ।
बाल रूप अजमल के धारा । दुखियों के तुम हो रखवारे । आपहि रामदेव प्रभु स्वामी । तुम हो भक्तों के भय हारी । जग में नाम तुम्हारा भारी । दु:ख भंजन है नाम तुम्हारा । सुन्दर धाम रूणिचा स्वामी । कलियुग में प्रभु आप पधारे । तुम हो भक्त जनों के रक्षक । सोहे हाथ आपके भाला । आप सुशोभित अश्व सवारी । नाम तुम्हारा ज्ञान प्रकाशे । तुम भक्तों के भक्त तुम्हारे । लीला अपरम्पार तुम्हारी । निर्बुद्धि भी विद्या पावे । पुत्र हीन सु सन्तति पावे । दुर्जन दुष्ट निकट नहिं आवें । जो कोई पुत्र हीन नर ध्यावै । तुमने डूबत नाव उबारी । पीरों को परचा तुम दीना । तुमने पुत्र दिया दलजी को । सुगना का दु:ख तुम हर लीना । जो कोई तुमको सुमिरन करते । जो कोई टेर लगाता तेरी । विविध रूप धर भैरव मारा । जो कोई शरण आपकी आवे । नयनहीन के तुम रखवारे । नित्य पढ़े चालीसा कोई । जो कोई भक्ति भाव से ध्याते । मैं भी सेवक हूँ प्रभु तेरा । जय जय हो प्रभू लीला तेरी । करता नन्द विनय प्रभु तेरी । |
विपदा हरो तुम आन हमारी ।।
भक्तजनों के भाग्य विधाता ।। बनकर पुत्र सभी दु:ख हारा ।। लागत आप उन्हीं को प्यारे ।। घट घट के तुम अन्तरयामी ।। मेरी भी सुध लो अवतारी ।। भजते घर घर सब नर नारी ।। जानत आज सकल संसारा ।। तुम हो जग के अन्तरयामी ।। अंश एक पर नाम है न्यारे ।। पापी दुष्ट जनों के भक्षक ।। गले में सोहे सुन्दर माला ।। करो कृपा मुझा पर अवतारी ।। पाप अविद्या सब दुख नाशे ।। नित्य बसो प्रभु हिये हमारे ।। सुख दाता भय भंजन हारी ।। रोगी रोग बिना हो जावे ।। सुयश ज्ञान करि मोद मनावे ।। भूत पिशाच सभी डर जावें ।। निश्चय ही नर व सुत पावैं ।। मिसरी किया नमक को सारी ।। नीर सरोवर खारा कीना ।। ज्ञान दिया तुमने हरजी को ।। पुत्र मरा सर जीवन कीना ।। उनके हित पग आगे धरते ।। करते आप तनिक ना देरी ।। जांभा को परचा दे डाला ।। मन इच्छा पूरण हो जावे ।। कोढ़ी पुंगल के दु:ख टारे ।। सुख सम्पत्ति वाके घर होई ।। मन वांछित फल वो नर पाते ।। काटो जनम मरण का फेरा ।। पार करो तुम नैया मेरी ।। करहु नाथ तुम मम उर डेरी ।। |
।। दोहा ।।
यह चालीसा नित्य उठ पाठ करे जो कोय । मन वांछित फल पाय वो सुख सम्पत्ति घर होय ।।
श्री रामदेव जी का भजन
हे रुनिचे रा धणिया,
अजमल जी रा कँवरामाता मेनांदे रा लाल,
राणी नेतल रा भरथार म्हारो
हेलो सुणोजी राम पीर जी हो
म्हारो हेलो सुणोजी राम
पीर जी
हे रुनिचे रा धणिया, अजमल जी रा कँवरामाता मेनांदे
रा लाल
राणी नेतल रा भरथार म्हारो हेलो सुणोजी राम पीर जी हो
जी
म्हारो हेलो सुणोजी राम
पीर जी
घर घर होवे पुजा थारी गाँव गाँव यश गावे जी।
रुनिचे रा रामदेवजी सुता हो तो आवो जी।।
मेडी में ज्योत जगावा, मनडे रा फूल चढावाहे
रुनिचे रा धणिया, अजमल
जी रा कँवरामाता मेनांदे रा लाल
राणी नेतल रा भरथारम्हारो हेलो सुणोजी राम पीर जी हो
म्हारो हेलो सुणोजी राम पीर जी
दास करे अरदास पीरजी डंस गयो काळो नाग जी।।
मरतोडा ने जीवदान दो, जीता ने वरदान जी।।
धन्य धन्य भाग विधाता, थने घनी खम्मा अन्नदाता
हे रुनिचे रा धणिया,
अजमल जी रा कँवरामाता मेनांदे रा लाल
राणी नेतल रा भरथारम्हारो हेलो सुणोजी राम पीर जी हो
म्हारो हेलो सुणोजी राम पीर जी
हे रुनिचे रा धणिया..........
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